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कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने मनाया ‘सुरक्षित बचपन दिवस’

  • vijaymoon
  • Mar 29, 2023
  • 3 min read

नई दिल्‍ली। ‘उसकी क्‍या गलती थी...’ इस गीत के बोल हर सुनने वाले को आज की शाम भीतर तक झकझोर गए। क्‍या एक लड़की की गलती है कि वो जॉब करने जा रही है? या कोचिंग या फिर दोस्‍तों के साथ घूमने के बाद घर लौट रही है? पिछले दिनों ही राजधानी के कंझावला इलाके में हुई लड़की की दर्दनाक मौत के बाद ऐेसे कई सवाल हैं जो पूरी दिल्‍ली और देशवासियों को कचोट रहे हैं। और इसी तस्‍वीर को सुरों में बांधकर दिल्‍ली वालों के सामने बुधवार शाम पेश किया स्‍लम एरिया के बच्‍चों ने। इस प्रस्‍तुति को देखने के बाद हर आंख नम थी और हर आंख में एक सवाल था लेकिन बस नहीं था तो वो था जवाब।


यह मौका था नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन(केएससीएफ) की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘मेरी आवाज सुनो’ कार्यक्रम का, जिसमें सहयोगी के रूप में मौजूद थी इलेक्‍ट्रॉनिक आइटम बनाने वाली ‘बोट’ जैसी कंपनी। इस कार्यक्रम में दिल्‍ली के आठ स्‍लम एरिया के बच्‍चों ने ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ के रूप में नाटक, नृत्‍य और संगीत के माध्‍यम से बच्‍चों के अधिकारों की आवाज उठाई। पिछले चार साल में केएससीएफ ने कैसे स्‍लम के इन बच्‍चों की जिंदगी में सकारात्‍मक बदलाव लाई है, बच्‍चों ने अपनी प्रस्‍तुति के माध्‍यम से उसे बाखूबी अपनी कला से उकेरा। बच्‍चों के अधिकारों को लेकर एक अलग ही तस्‍वीर दिखाई दी इस शाम में।


पूरी प्रस्‍तुति में ‘उसकी क्‍या गलती थी...’ वीडियो, जो इस मौके पर लॉन्‍च भी किया गया, ने सभी का दिल जीत लिया। इसकी सबसे खास बात यह थी कि इसे चाणक्‍यपुरी के संजय कैंप में रहने वाले तिलक और आशमा ने तैयार किया है। इनका प्रयास है कि वे इसके माध्‍यम से बच्‍चों और महिलाओं के प्रति होने वाले यौन अपराधों के खिलाफ आवाज उठा सकें।


17 साल का तिलक बीकॉम फर्स्‍ट ईयर का स्‍टूडेंट है और जो म्‍यूजिशियन बनने के साथ-साथ वीजा ऑफिसर की जाब करना चाहता है। उसका सपना है कि वो अपने माता-पिता को विदेश ले जाए। वहीं, 15 साल की आशमा जो 11वीं क्‍लास की स्‍टूडेंट है, चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहती है। आशमा के लिए म्‍यूजिक एक पैशन की तरह है और वह चाहती है कि नोबेल पीस प्राइज से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्‍मसात कर सके। ये दोनों ही बच्‍चे संजय कैंप के बाल मित्र मंडल के सक्रिय सदस्‍य हैं।


बाल मित्र मंडल, नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी का अभिनव प्रयोग है और इसे साल 2018 में शुरू किया गया था। इसका मकसद शहरी स्‍लम एरिया के बच्‍चों को सुरक्षा, स्‍वतंत्रता व शिक्षित करना है। साथ ही उनमें नेतृत्‍व के गुण विकसित करना भी है ताकि वह अपने अधिकारों के लिए खुद आवाज उठा सकें। फिलहाल केएससीएफ दिल्‍ली के आठ स्‍लम एरिया में काम कर रहा है और यहां के बच्‍चों में नेतृत्‍व की क्षमता को विकसित कर रहा है। पिछले साल संजय कैंप के ऐसे ही बच्‍चों ने अपने क्षेत्र में ट्रांसफॉर्मर बदलने की मांग उठाई और प्रशासन पर दबाव डालकर ऐसा करवाया भी।


‘मेरी आवाज सुनो’ के तहत केएससीएफ ने एक साल पहले टैलेंट हंट प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इसका मकसद था ऐसे बच्‍चों की पहचान करना जो डांस, थियेटर, म्‍यूजिक और क्रिकेट में रुचि रखते हैं और फिर उनके हुनर को निखारना। ऐसे बच्‍चों को प्रोफेशनल ट्रेनर के जरिए ट्रेनिंग दी गई और आज यही बच्‍चे अपनी प्रतिभा को लेकर सबके सामने थे।


नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के जन्‍मदिन 11 जनवरी को देशभर में ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ मनाया जाता है। इसका मकसद देश भर के लोगों में बच्‍चों के मुद्दों के प्रति जागरूकता लाना है ताकि दुनिया को बच्‍चों के लिए सुरक्षित बनाया जा सके। कार्यक्रम में अपनी शानदार प्रस्‍तुति से बच्‍चों ने अपनी समस्‍याओं को बहुत ही अच्‍छे ढंग से दर्शकों के सामने उकेरा। साथ ही यह भी दिखाया कि कैसे उनके समुदाय में बदलाव आ रहा है।


इस मौके की महत्‍ता पर प्रकाश डालते हुए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा, ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ का मकसद है कि सभी नागरिकों को यह अहसास करवाया जाए कि समाज को बच्‍चों और उनके बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए साथ आकर काम करना होगा। आज के कार्यक्रम की मुख्‍य बात यह है कि बच्‍चों को शिक्षा के माध्‍यम से सशक्‍त करना, ताकि वे अपने जीवन और अपने समुदाय के लिए बड़े लक्ष्‍य हासिल कर सकें।’

 
 
 

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